कामिनी भाग 21
चेतन ने तुरंत पत्ता फेंका और फिर कामिनी के साथ रोमांस करने लगा,तब कामीनी ने परेशान होकर,अपने ऊपर पड़े, चेतन को धक्का मार कर हटाया और कहा
"अब मन भर गया है पर तुम्हारा मन नहीं भर रहा है, ऐसा लग रहा है, जैसे वर्षों से किसी के साथ समागम नहीं किया है"!
"बिल्कुल सही अनुमान लगाया तुमने, मैं 17 में लगा था और मेरे अरमानों पर पानी फिरा था पर अब सब ठीक हो गया है, भरी जवानी में मुझे, ऐसे मत तरसाओ, जानेमन,,,बहुत पाप लगेगा तुम्हें"! चैतन ने कहा
"रात के 12:00 बज गए हैं और तुमने 4 घंटे में मुझे, एक पल के लिए भी नहीं छोड़ा है,सुबह हमारी शादी है होने वाली है, थोड़ी ऊर्जा कल सुहागरात के लिए भी बचा कर रखो"! कामीनी ने बताया
"मैं तो भूल ही गया था, मुझे बहुत सारी तैयारी करना है, अब चलता हूं,तुम भी जाकर सो जाओ"! चैतन ने कपड़े पहनते हुए कहा
"शादी में किसी भी वस्तु की आवश्यकता हो तो बता देना और वृद्धो को बाराती बनाकर मत लाना,नहीं तो मेरी सखियां मुझसे नाराज हो जाएगी,क्योंकि मेरी सभी सखियां युवावस्था में है, उनके मनोरंजन के लिए भी तो जवान युवक चाहिए"! कामीनी ने याद दिलाते हुए कहा
चैतन ने कामिनी का कपाल चुम्मा और कहां
"मुझे सब याद है, अब मैं, तुम्हें अपनी दुल्हन के रूप में सजी देखना चाहता हूं, तुम्हारी मांग में अपने हाथों से सिंदूर भरना चाहता हूं, तुम्हें सात फेरों के सात वचनों में बांधना चाहता हूं, ताकि तुम फिर कभी मुझे छोड़कर ना जा पाओ"! चैतन ने कहा
"मनुष्य की भावनाएं, बहुत कमजोर होती है, मनुष्य जिस पर विश्वास करता है,उसकी सारी महत्वाकांक्षाएं भी उस से जोड़ लेता है पर विश्वास करना बड़ा खतरनाक काम है, हर मनुष्य में यह लाइलाज बीमारी पाई जाती है"! कामीनी ने ताना मारते हुए कहा
"किसी पर विश्वास करने के लिए सच्चाई और साहस की जरूरत होती है, किसी पर विश्वास करना उतना खतरनाक नहीं होता, जितना खतरनाक उसे धोखा देना होता है, विश्वास, सच्चाई, अच्छाई,आत्मविश्वास, उम्मीद और सफलता से जुड़ा होता है, धोखा घातक होता है, हमारे उन अपनों के लिए, जो हमें चाहते हैं, जो हमें अपना समझते हैं,जो हम पर विश्वास करते हैं, किसी के विश्वास का गला, यूं ही नहीं घुट जाता, उसके लिए विश्वास घाती बनना पड़ता है"! चैतन समझाते हुए कहा
चेतन के शब्द दर्शन से मानों, कामिनी के जीवन का रहस्य,उसके सामने से गुजर गया, वह उसकी बातें ध्यान से सुनती रही और मोन खड़ी अपनी भूल को समझने की कोशिश भी करती रही, चेतन तो उसे, उस गंभीर चिंतन अवस्था में छोड़कर चला गया पर उसे उसके, साथ हुए अन्याय के प्रश्नों के उत्तर नहीं दे गया, इसलिए कामिनी ने क्रोधित होकर, बहुत ही भयानक पिशाचिनी रूप धारण कर लिया है, कामिनी ने आज पहली बार यह सबसे भयंकर, विकराल रूप धारण किया है,जो बहुत ही डरावना है, उसकी दहाड़ ने पूरे जंगल को कपकपा दिया है, उसका यह विशाल, विकराल रूप देखकर,सभी पिशाचिनीया उसके चारों ओर आई
उधर दूसरी तरफ, चेतन ने प्रोफेसर को उसके झोपड़ी के अंदर और आसपास, सभी और ढूंढा पर वह तो नहीं मिला, उसे अचानक सामने रात्रि दिखाई दी और वह चौंक गया और उसने सहमे शब्दों में कहा
"तुम बिना डराए, सामने नहीं आ सकती हो, वह तो मैं मर्द हूं, इसलिए मुझे कुछ नहीं होता, कोई और होता तो निपट जाता, बेचारा"! चेतन ने कहा
"तुम्हारी मर्दानगी देखकर ही मैं, यहां तुम्हारे पास आइ हूं, जैसे तुमने आज, कामिनी की चीखें निकाली है,वैसे ही मेरी भी चीखें निकाल दो, जैसा आज तुमने,समागम मिलन का सुख, कामिनी को दिया है और उसके रोम रोम को तृप्त कर दिया है, वैसे ही मुझे भी तृप्त कर दो"! रात्रि ने कहा
"ठीक है, कर दूंगा पर इसके बदले में मुझे क्या मिलेगा"? चैतन ने पूछा
"वही जो कामिनी के साथ करके मिला था"! रात्रि ने बताया
"मुझे उसके साथ और भी कुछ चाहिए"!चेतन ने कहा
"और क्या चाहिए"? रात्रि ने पूछा
"कल हमारी शादी है, मैंने पागल प्रोफेसर को बाजा बजाने का काम दिया था, वह जाने कहां गायब हो गया है, तुम,मुझे उससे मिला दो"!चेतन ने बताया
"पहले मेरी कोरी जवानी के कागज पर अपनी,मर्दानगी की कहानी लिख दो, फिर मैं, तुम्हें उस पागल प्रोफेसर से मिलवा दूंगी"!रात्रि ने कहा
"तुम्हें मयूरासन के बारे में कुछ पता है"!चैतन ने पूछा
"मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता"! रात्रि ने कहा
"तो फिर चलो झाड़ियां में अभी बताता हूं"!चैतन ने उसे झाड़ियां में ले जाते हुए कहा
फिर कुछ देर बाद
दोनों के कपड़े झाड़ियां से बाहर आते हैं, और चीखें सुनाई देती है
आं....आं......आं.....आं.....
कुछ देर बाद
"तुमने सर्पासन के बारे में सुना है"! चैतन ने पूछा
"सर्पासन क्या होता है"? रात्रि ने आश्चर्य से कहां
"अभी बताता हूं"!
फिर चैतन ने रात्रि पर सर्पासन का प्रयोग किया तो रात्रि की मानो जान निकल गयी हो
"आं,,,,आं,,,,,मर गई,,,,आं,,,,आं,,,,थोड़ा धीरे करो,,,,आं....आं..... आज तो सच में मर जाऊंगी, बस करो,,,आं,,,आं,,,दया करो मुझ पर,,, आं... आं....
रात्रि को पूर्ण तरह, संतुष्ट कर, चैतन ने पूछा
"प्रोफेसर कहां है"?
तब रात्रि ने कहा -"उस आम के पेड़ के पीछे, प्रोफेसर मिल जाएगा"!
चैतन आम के पेड़ के पीछे आकर देखा,वहां प्रोफेसर का शव पड़ा है, यह देखकर,चेतन को बहुत गुस्सा आया पर उसने खुद को नियंत्रित किया और रात्रि से पूछा
"इसे किसने मारा है"?
"इसे भेड़ियो ने मारा है, आज यह गलती से सफेद वृक्ष के पास चला गया था, इस जंगल में सफेद वृक्ष को छूने की सजा, मौत है, अब में चलती हूं, हमारी सभा होने वाली है"! रात्रि ने जाते हुए कहा
रात्रि के जाने के बाद, चैतन ने उसे हिलाया, पर वह मर चुका था, फिर चैतन ने उसके जैब टटोला तो उसे सफेद वृक्ष का वह पत्ता मिल गया, चेतन ने उसे फटाक से अपनी जेब में रखा और फिर प्रोफेसर की चिता तैयार करके, उसके शरीर को अंतिम विदाई दी
उधर दूसरी तरफ, आज कामिनी अपने पूर्ण पिशाचिनी रूप में ज्यादा भयंकर और खतरनाक हो गई है, उसने रात्रि की ओर देखा और कहां
"कहां गई थी,रात को रात्रि, तुम्हारे शरीर से किसी घिनोने कर्म की गंध आ रही है, विलंब से आने का कोई विशेष कारण"? कामिनी ने पूछा
Khushbu
15-Dec-2023 06:55 PM
V nice
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Madhumita
15-Dec-2023 06:48 PM
Nice
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kashish
08-Dec-2023 09:29 AM
👍👌
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